अमेरिका ने 4 साल बाद अफगानिस्तान में वापसी करनी शुरू कर दी है. इस बार इसके पीछे की वजह तालिबान या अल-कायदा नहीं बल्कि ईरान है. अमेरिका ने अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस पर मोर्चा संभाल लिया है. अमेरिका ने 2021 में तालिबान के डर से ये एयरबेस छोड़ दिया था.
बगराम में अमेरिका की वापसी का ईरान से है सीधा कनेक्शन है. इस समय अमेरिका के साथ उसका तनाव चर्म पर है और वह ईरान को हर तरफ से घेरना चाहता है. अफगानिस्तान ईरान का पड़ोसी है और ये बेस ईरान पर रणनीतिक हमले के लिए बेहद सटीक है.
तालिबान के साथ पर्दे के पीछे बातचीत
अमेरिका ने अपने फायदे को देखते हुए तालिबान से अंदरखाने बातचीत शुरू कर दी है और बगराम में फिर हथियार लाना शुरू कर दिया है. ईरान के शिया मुस्लिम देश है और तालिबान कट्टर सुन्नी विचारधारा का पालन करता है और इस वजह का अमेरिका फायदा उठा सकता है.
5 प्रमुख पॉइंट्स में समझिए पूरा मामला
बगराम बेस पर फिर से अमेरिकी मौजूदगी- अमेरिका ने पूर्वी अफगानिस्तान में स्थित बगराम एयरबेस पर एक बार फिर से नियंत्रण स्थापित कर लिया है. यह कार्रवाई तालिबान सरकार की सहमति से हुई है .
C-17 विमानों की लैंडिंग- पिछले सप्ताह कई अमेरिकी C-17 सैन्य ट्रांसपोर्ट विमान बगराम बेस पर उतरे, जिनमें सैन्य वाहन, उपकरण और खुफिया अधिकारी, यहां तक कि CIA के डिप्टी डायरेक्टर माइकल एलिस भी मौजूद थे.
अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं- अमेरिका या तालिबान दोनों में से किसी ने अभी तक अमेरिकी सैनिकों की औपचारिक तैनाती की पुष्टि नहीं की है, लेकिन फ्लाइट ट्रैकिंग डेटा से C-17 विमानों की मौजूदगी की पुष्टि हो चुकी है.
ईरान और चीन के खिलाफ रणनीतिक ठिकाना- बगराम बेस को फिर से सक्रिय करना इस ओर इशारा करता है कि अमेरिका ईरान के खिलाफ संभावित सैन्य ऑपरेशन की यहां तैयारी कर रहा है.
आधिकारिक घोषणा जल्द- सूत्रों के मुताबिक, अमेरिका द्वारा बगराम बेस को फिर से टेकओवर करने की औपचारिक घोषणा इसी हफ्ते की जा सकती है.